11/28/08

आख़िर कब तक


देश में आए दिन हो रही आतंकी हमले से जहाँ मासूम बेगुनाह भारतीयों की जान जा रही है, वहीँ हमारे देश के नेताओं को इसमे भी राजनीति नजर आती है , लगता है ये चाहते यही है की आतंकी हमला हो और ये सरकार को कोसने में अपनी सारी ताकत लगा दे। मुझे ऐसे राजनीतिज्ञों पर घृणा होती है जो मासूम लोगों की लाशों पर भी अपनी राजनितिक रोटियां सकने से बाज नही आते। इन्ही कायर नेताओं की देन है की आए दिन अचानक हो रही आतंकी हमलों में हमारे दर्जनों शुरक्षाकर्मी शहीद हो रहे है और ये ऐ० सी० रूम में बैठकर आतंक के जन्मदाताओं से शान्ति की बात करते नजर आते है । आखिर कब तक हम शान्ति राग अलापते रहेंगे और अपने लोगों को ऐसे ही मरते देखते रहेंगे। हमारे देश में जब कोई हमला होता है तब ये नेता बड़ी बड़ी बातें करतें है , कुछ दिनों के बाद वही ढाक के तीन पात वाली कहानी नजर आने लगती है । हम अपने सैनिकों को यूँ ही शहीद होते देखने के बजाय उन्हें खुली छूट दे देनी चाहिए इन मुठी भर आतंकियों को इनके घर में घुसकर मरने के लिए। अब अहिंसा का यूग खत्म हो चला है हमें हिंसा का जवाब हिंसा से ही देना। राजनीतिज्ञों को भाषण बाजी छोड़ ठोस कदम उठाना चाहिए क्योंकि लड़ना तो आख़िर हमारे जवानों को ही है ........

3 comments:

Ashish Khandelwal said...

शहीदों की शहादत रंग लाए.. बस हिंदुस्तान में अमन और चैन बस जाए..

समीर सृज़न said...

आपकी बातों से मैं पूरी तरह इतेफाक रखता हूँ। मुझे ये कहने में ज़रा भी गुरेज़ नहीं है की इन नेताओं से तो पूरा मुल्क त्रस्त है। राजनीति इनके लिए तो बस वोट बैंक की तरह है...इन नेताओं का राजनीति का एक ही परिभाषा है राज के लिए कोई नीति नहीं.....

राजीव करूणानिधि said...

देश की बागडोर ऐसे लोगों के हाथ में है जिनको ये तक नही पता चाँद पर जा कर हमारे विद्वान् वैज्ञानिक क्या चमत्कार करेंगे.. राष्ट्र गीत किसने लिखा और गणतंत्र दिवस हम क्यों मनाते है. कहीं न कहीं ये हमारे लोकतंत्र की बड़ी खामी है जिसपर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है...