पिछले दिनों अमेरिका के इतिहास में जो परिवर्तन आया वह शायद इसके बाद देखने को नही मिलें। लेकिन इस परिवर्तन ने व्हाइट हाउस में एक ब्लैक शख्स को जरूर ला खड़ा किया है जो बिश्व के सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति होगा । कहा जाता है इतिहास दबे पाव आता है और उसके गुजर जाने के बाद इतिहास का प्रभाव शताब्दियों तक रहता है । बराक ओबामा के विजय होने से अमेरिका में वर्षो से चली आ रही श्वेत और अश्वेत के बीचपनपी खाई पाटने की पुरी संभावना है । मार्टिन लूथर किंग का सपना "मेरा सपना है की मेरे चार छोटे बच्चे एक इसे देश में रहेंगे ,जहाँ उन्हें उनकी त्वचा के रंग से नही बल्कि उनके चरित्र के आधार आँका जाए "यह सच साबित होता नजर आने लगा है ।किंग के जीवित रहते तो यह सपना पुरा नही हो पाया लेकिन यह सपना लाखों अमेरिकियों का सपना बन गया , यह सपना सच हहा ५ नवम्बर को जब एक अफ्रीकी अमेरिकी बराक ओबामा अमेरिका के ४४ राष्ट्रपति के रूप में चुने गएँ ।इसे लिखने का मेरा मकसद यह है की अमेरिका तो अब श्वेत और अश्वेतों की लडाई से बहुत ऊपर उठ चुका है और शायद यही वजह रही की आज अमेरिका रुष जैसे प्रान्तिये राजनीती से ग्रस्त ताकतवर देश को भी पीछे छोड़ते हुए विश्व के मानचित्र में सबसे ताकतवर देश के रूप में आ खड़ा हुआ । वहीँ आज हमारा देश जातिगत के जाल में इस कदर उलझा हुआ है की यहाँ की जातिगत पार्टियाँ बड़ी पार्टियों पर भी भारी पड़ती है । और शयद यही वजह है की सरकार चाह कर भी देश हित में कोई कदम उठा नही पाती है । अगर हम भी अमेरिकियों से सबक लेते हुए जातीय भेदभाव को भूल देश की उन्नति और प्रगति के बारे में सोचें ।
देखना है की क्या यहाँ की इतिहास भी बदलेगी ?
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