एक बात जो मुझे आज भी सताती है ।
गरीबों के गरीबी को याद दिलाती है ।
दर्द भरी ऑंखें भूखे पेट दिल जलती है ।
एक बात जो मुझे आज भी सताती है ।
एक चेहरा जो मुझे आज भी आँखे दिखाती है ।
तन पे फटे कपड़े कचडे का बोझ बस यही बताती है ।
एक बात जो मुझे आज भी सताती है ।
निराशा में आशा की जोत जलाती है ।
क्यों इंसानों के पास गरीबी आती है ।
एक बात जो मुझे आज भी सताती है ।
पत्रकार मित्र धीरेन्द्र पाण्डेय की प्रस्तुति .........
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