आज के आधुनिक यूग में भी हम शुभ अशुभ के जाल से निकल नहीं पाए है . आज भी हम शुभ मुहूर्त की तलाश में ज्योतिषियों और पंडितों के यहाँ चक्कर लगते रहतें है .हमें कोई भी शुभ कार्य करना हो हम पंचांगो की गणना के चक्कर में जरूर पडतें है .लोगों का मानना है की अगर शादी के लिए मुहूर्त नहीं दिखलाया तो अनिष्ट होगा.यही भय हमारे मन में बचपन से परिवार के लोग ,सम्बन्धी और मित्र भर देते है. और शायद यही वह भय है जो किसी अनहोनी की आशंका से हमें आजीवन छुटकारा नहीं लेने देती.सरे मुहूर्त तथाकथित ज्योतिषियों द्वारा रचित पंचांगों के आधार पर गणना करके निकले जाते है.और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पंचांग भो अलग अलग होते है. एक पंचांग कहेगा कि इस महीने कोई अच्छा मुहूर्त नहीं है वहीँ कोई दूसरा पंचांग उसी महीने एक नहीं बल्कि दो चार अच्छे मुहूर्त निकाल देगा.एसे कई महीने है जो हमारे हिन्दू समाज में शादी के लिए वर्जित माना जाता है, पर उन्ही महीनो को बंगाली पंचांग अच्छे दिन मानता है. तो क्या हम ये मान लें कि बंगाली हिन्दू नहीं है.दक्षिण भारत का पंचांग तो और भी अलग है. हम अगर गौर करेंगे तो पायेंगे कि हमारे यहाँ हर त्यौहार के अलग अलग पंचांग दो अलग अलग दिन निकालता है, जब हिन्दू समाज में आपस में ही द्वंद कि भावना है पनपने लगती है. जब पूरा हिन्दू समाज ही आपस में एकमत नहीं है,तो क्या इस अंधविश्वास को जारी रखना चाहिए? क्या इसमें कोई फायदा है? राम और सीता के विवाह के लिए शुभ दिन कि गणना सर्वकालीन श्रेष्ट ऋषियों वशिस्ठ और विस्वमित्र ने कि लेकिन दोनों के गृहस्त जीवन की जितनी दुर्दशा हुई भगवन दुसमन की भी ना करे. गुरु नानक के अनुयायी सिख भाइयों ने विगत सैकडों सालों से सब दिन को बराबर समझकर पंचांग और ज्योतिषियों को दरकिनार कर सिद्ध कर दिया है कि ये सब सिर्फ अंधविश्वास है. लेकिन बृहद हिन्दू समाज आज भी शुभ अशुभ के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पाया.यदि आज भी लोग यात्रा पर निकलने से पहले शुभ अशुभ मुहूर्त देखना शुरू कर दें तो तुंरत सारी व्यवस्था ही गड़बड़ हो जाएगी. प्रशासन पंगु हो जायेगा,व्यवसाय बर्बाद हो जायेगा,कर्मचारी बर्खास्त कर दिए जायेंगे,पदाधिकारियों को घर का रास्ता दिखा दिया जायेगा.अब हमें वक़्त के साथ चलने की जरूरत है कहीं ऐसा न हो की हम शुभ अशुभ के जाल में फंसकर वक़्त की रफ़्तार से कहीं पीछे न छुट जाएँ.
5 comments:
waah mindblowing .....
jhakas kya khub kahi bhai aapne
इसी शुभ अशुभ के चक्कर में तो हिंदुस्तान पिछडा हुआ है, सिर्फ भारत की ही नहीं उन तमाम देशों के हालात लगभग एक सामान है. हमारे समाज के इस रुढिवादी और बेकार से कल्चर को हम दरकिनार कर के चले तो अच्छा है. बधाई.
good post and ur blog
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VISHWAS AUR ANDHWISWAS ME BAHUT KAM DURI HOTI HAI VISHWAS ACHHI HAI PAR JAB TAH ANDHVISHWAS ME TABDIL HO JAYE TO US MULK US SAMAAJ KI TARAKKI RUK JATI HAI ESLIYE HAME AB IS ANDHWISWASH KO TYAGNAA HI HOGA
baat me dam hai. par inka v aadhar hai.
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