12/3/08

हम कैसे लोग को चुनते है भाई.....


अखिलेश ने अपनी ब्लॉग www.humaap.blogspot.com पर नेताओं को चुनने के जानता के मापदंड की बात रखी है ......पेश है उनकी भावनाओं की एक बानगी ....

अभी पुरे देश में जनता नेताओ को गालिया दे रही है। आतंकियों की ही तरह नफरत वैसे नेताओ के प्रति भी है जो संकट की इस घड़ी में भी अपनी वोट बैंक और सियासत में नफा नुकसान को लेकर राजनीति करते रहे। लेकिन हम सभी को एक सवाल अपनी अंतरात्मा से भी करनी चाहिए की इन नेताओ को नेता बनाता कौन, अपने जनप्रतिनिधियों को चुनने के लिए हम कौन सा मापदंड तय करते हैं? नेता को 'ने' मतलब- नेतृत्व और 'ता' मतलब - ताकत जनता जनार्दन से ही मिलती है ऐसे में अगर हम ग़लत लोगो को चुनते हैं तो उन लोगो से कुछ बेहतर करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। चुनाव के दिन तथाकथित पढ़े लिखे लोग वोट करने नही जाते, उन्हें लम्बी कतारों में आमजनों के साथ खड़ा होना नही भाता। पर यही बुद्धिजीवी बाद में देश के हर मुद्दे पर बड़ी बड़ी बातें करते है। युवा देश की तस्वीर बदलने की ताकत रखता है, कहते भी हैं जिस ओर युवा चलता है उस ओर ज़माना चलता है, लेकिन युवाओं की फौज कभी पेट्रोल तो कभी दारू के चक्कर में धन्धेबाज़ नेताओ के आगे पीछे घुमती नज़र आती है। अलग-अलग दलों के चुनावी रैलियों में कई बार सामान समर्थक नारे लगते नज़र आते हैं, पैसे पर जनता की भीड़ जुटाई जाती है। अब जब जनता ही अपने अधिकारों के प्रति सजग नही होगी तो भला नेताओ से उम्मीद कैसे की जा सकती है । हम जिसे नेता चुनते हैं उसके चल चरित्र को समझना अत्यन्त ही जरुरी है । हम वोट करे तो उन्हें करे जो जाति,धर्म, क्षेत्र , भाषा के मुद्दे पर हमे उलझाय ना रख कर हिंदुस्तान को सुदृढ़ और विकसित करने का विजन रखे॥ पर इसके लिए हमे ख़ुद को बदलना होगा....एक उम्मीद के साथ..आप का साथी...

1 comment:

राजीव करूणानिधि said...

बदलने का वक़्त है, तो बदलिए अपने आप को. वो कहावत सुनी है न....कि आप भला तो जग भला.
आपके दोस्त बदलेंगे, पड़ोस बदलेगा, मोहल्ला बदलेगा, समाज बदलेगा, जिला बदलेगा, राज्य बदलेगा, देश बदलेगा और सारा जहां बदलेगा..