2/25/09

राजनिति का अपराधीकरण

राजनिति का अर्थ होता है राज्य से सम्बंधित नीति अथार्त वह नीति जिससे राज्य का संचालन होता है। यहाँ नीति का सम्बन्ध नैतिकता अथार्त नैतिक मूल्य से है। इससे स्पष्ट होता है कि राजनीति नैतिक मूल्यों पर आधारित एक ऐसी व्यवस्था है राज्य को सुचारू रूप से संचालन के लिए बनाईं जाती है। प्राचीन काल कि राजनीति की बात करें तो वह भी निरंकुश नही थी , उस पर भी धर्म का अंकुश रहता था। राष्ट्रपति गाँधी जी नैतिक मूल्य पर आधारित राजनीति के पक्षधर थे, और वे राजनेताओं के पवित्रता बल देते थे ।
स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले लोग जबतक भारतीय राजनीति में रहें तबतक अपराधीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ नही हुई थी। लेकिन वर्तमान राजनीति परिदृश्य में चारों ओर अपराधियों की जमघट दिखाई दे रहा है। आज हमारे नेता अपराधिक चरित्र वालों को उच्च पदों पर बैठा रहे है और सज्जनों को अपमान का विष पीना पड़ रहा है। आज के दौर में सभी नेता और राजनितिक दल सत्तालोलुप है। कुर्सी पाना उनका एकमात्र लक्ष्य रह गया है, वे डाकुओं , माफिया ,सरगनाओं एवं अपराधियों को पार्टी टिकट देकर चुनाव लड़वाते है। वे जानते है की जानता उनके भय और आतंक से उन्हें ही वोट देगी। वर्तमान परिदृश्य में कोई एक दल को दोषी ठहराना उचित नही होगा, सभी राजनितिक एक ही थैली के चट्टे बट्टे है। वर्तमान समय में संसद और विधानसभाओं में कई एसे चेहरे दिखाई देते है जिनकी वास्तविक जगह जेल की सलाखों के पीछे होनी चाहिए थी। आज के समय में जब मिली जुली सरकार बन रही है , किसी दल के पास इतना बहुमत नही है किवे अपने दम पर सरकार बना सके,तब वे किसी को भी अपने दल में शामिल करने को तैयार हो जाते है, चाहे वो अपराधी सांसद या विधायक क्यों न हो।
वर्तमान में भारतीय राजनीति कि स्थिति यह है कि अब अच्छे लोग इसमे आना नही चाहते है। राजनीति भरष्टाचार apne चरम पर है। दल बदल के लिए बनाया गया कानून प्रभावी नही हो पा रहा है। आज पैसे के बल पर किसी भी दल के सांसद विधायक को ख़रीदा जा सकता है। राजनीति के अपराधीकरण का परिणाम यह है कि अब संसद और विधानसभावों कि गरिमा घटी है। वहां अब लात घूसे मेज कुर्सी सब चलती है, गाली गलौज एवं मारपीट तो आम बात हो गई है।चुनाव आयोग राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए नियम तो बनाए हैं। लेकिन वह भी अबतक इसे रोकने में असमर्थ ही रही है। अपराधियों को संसद और विधान सभाओं में जाने से रोकने के लिए देश कि जानता को जागरूक होना अति आवश्यक है, अगर वे दागी लोगों को वोट न दे तो इससे निजात पाया जा सकता है,और तभी चम्बल के बिहरों के शेर संसद जाने से रोके जा सकेंगे।